देवो के देव महादेव के बारे में अदभुत रहश्य जो शायद आप नही जानते होंगे। Mahadev Ke Adhbhut Rahsya
देवो के देव महादेव की महिमा कोन नही जानता। भगवान् शिव सर्व ज्ञान से परे है। वे सभी दुःखो का नाश कर सुख देने वाले है। आज हम आपको शिवजी से जुड़े वो अधभुत रहश्य बताने जा रहे जो शायद आप पहली बार पढ़ रहे होंगे।
भगवान शिव को महेस्वर के रूप में भी जाना जाता है, त्रिमूर्तियों में महादेव को पाप विनाशक् बताया गया है, महाकाल जन्म और मरण से परे है। भोलेनाथ के कई अवतार इस पृथ्वी पे हो चुके है।
1) महादेव और उनके भक्त ( अघोरी बाबा ) हमेशा अपने शरीर पर राख लगते है, आपने भी शिव पूजा में भस्म का उपयोग करते हुए देखा होगा , जिसके पीछे एक महा सत्य छुपा है।
दरसल महादेव की पहली पत्नी (सती) की मृत्यू होने से महादेव चिंतित हो जाते है और कुछ समझ न आने पर पत्नी की राख़ को अपने तन में लगा देते है ।
लेकिन ये सब लोक ज्ञान की बाते बताई जाती है, शिव पुराण के अनुसार राख़ को मानव जीवन का अंतिम सत्य माना जाता है , एक दिन हम सब उसी में मिल जायेंगे और महादेव इस परम सत्य को हमेशा जताए रखने के लिए अपने तन पर भस्म लगाते है।
2) त्रिमूर्तियों में महादेव को विनाशक (अंत) बताया गया है । लेकिन इसका अर्थ तो कुछ और ही है। वास्तव में माहदेव नियामक भी है , जब सुरुष्टि मर पापियो की वृद्धि होती है तब देवाधिदेव भगवान शिव अपने त्रितय नेत्र से पृथ्वी का उद्धार करते है और स्वयं बह्मा रूप से रचना भी करते है।
4) राजस्थान के परतापनगर ज़िले में भगवान शिव का पापमुक्त करने वाला मंदिर है ,दरसल प्राचीन काल मे गोमती रिश्री ने जीव हतया होने पर कठिन तप करना पडा था, उसके बाद सरोवर मे डुबकी मारने से उनके पाप नष्ट हो गये थे तभी से यहा जो भी भक्तस्नान करता है उसके सारे पाप दुर हो जाते है
3) शिवजी को भोलेनाथ कहा जाता है , जिसके पीछे एक सन्देश छुपा हुआ है। ग्रंथो के अनुसार शिव हमेशा अपने ज्ञान में इतना डूबे रहते है , की वे अपने भक्त की कोई भी इच्छा पूरी कर देते है । ठीक उसी तरह मनुष्य को भोला ( अपने धुन में मस्त रहना ) चाइये , उसे किसी चल , कपट , अज्ञान , वेदना , सुख-दुःख , आशा , सफलता-असफलता की चिंता किये बिना सभी कर्म को करने चाइये।
5) शिव के बारह ज्योतिर्लिंग भी अवतारो की श्रेणी में आते है।
6) समुद्र मंथन के समय सभी देवो ने अमृत का पान किया परन्तु शिव जी के विष पीना पड़ा जिसके कारण लोग उन्हें नीलकंठ के नाम से जाना जाता है।
7) सुदर्शन चक्र जो की भगवान विष्णु का अस्त्र है उसका निर्माण भगवान शिव ने ही किया था शिव जी ने इसे विष्णु जी को प्रदान किया एव जरुरत पड़ने पर विष्णु देव ने इसको पार्वती माता को दिया और देवी ने परशुराम को दिया। परसुराम से भगवान कृष्ण को मिला ।
भगवान शिव को महेस्वर के रूप में भी जाना जाता है, त्रिमूर्तियों में महादेव को पाप विनाशक् बताया गया है, महाकाल जन्म और मरण से परे है। भोलेनाथ के कई अवतार इस पृथ्वी पे हो चुके है।
1) महादेव और उनके भक्त ( अघोरी बाबा ) हमेशा अपने शरीर पर राख लगते है, आपने भी शिव पूजा में भस्म का उपयोग करते हुए देखा होगा , जिसके पीछे एक महा सत्य छुपा है।
दरसल महादेव की पहली पत्नी (सती) की मृत्यू होने से महादेव चिंतित हो जाते है और कुछ समझ न आने पर पत्नी की राख़ को अपने तन में लगा देते है ।
लेकिन ये सब लोक ज्ञान की बाते बताई जाती है, शिव पुराण के अनुसार राख़ को मानव जीवन का अंतिम सत्य माना जाता है , एक दिन हम सब उसी में मिल जायेंगे और महादेव इस परम सत्य को हमेशा जताए रखने के लिए अपने तन पर भस्म लगाते है।
2) त्रिमूर्तियों में महादेव को विनाशक (अंत) बताया गया है । लेकिन इसका अर्थ तो कुछ और ही है। वास्तव में माहदेव नियामक भी है , जब सुरुष्टि मर पापियो की वृद्धि होती है तब देवाधिदेव भगवान शिव अपने त्रितय नेत्र से पृथ्वी का उद्धार करते है और स्वयं बह्मा रूप से रचना भी करते है।
4) राजस्थान के परतापनगर ज़िले में भगवान शिव का पापमुक्त करने वाला मंदिर है ,दरसल प्राचीन काल मे गोमती रिश्री ने जीव हतया होने पर कठिन तप करना पडा था, उसके बाद सरोवर मे डुबकी मारने से उनके पाप नष्ट हो गये थे तभी से यहा जो भी भक्तस्नान करता है उसके सारे पाप दुर हो जाते है
3) शिवजी को भोलेनाथ कहा जाता है , जिसके पीछे एक सन्देश छुपा हुआ है। ग्रंथो के अनुसार शिव हमेशा अपने ज्ञान में इतना डूबे रहते है , की वे अपने भक्त की कोई भी इच्छा पूरी कर देते है । ठीक उसी तरह मनुष्य को भोला ( अपने धुन में मस्त रहना ) चाइये , उसे किसी चल , कपट , अज्ञान , वेदना , सुख-दुःख , आशा , सफलता-असफलता की चिंता किये बिना सभी कर्म को करने चाइये।
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भगवन विष्णु की तरह शिव के 28 अवतार है।
भगवन विष्णु की तरह शिव के 28 अवतार है।
महाकाल, तारा, भुवनेश, षोडश, भैरव, छिन्नमस्तक गिरिजा, धूम्रवान, बगलामुखी. ,मातंग,. कमल ,कपाली, पिंगल, भीम ,विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, आपिर्बुध्य ,शम्भु ,चण्ड और भव है
इन के अलावा दुर्वासा मुनि , हनुमान ,महेश , वृषभ ,वेश्यानाश ,पिपलाद , भर्मचारी , अश्वथामा का भी वर्णन शिव पुराण में मिलता है।5) शिव के बारह ज्योतिर्लिंग भी अवतारो की श्रेणी में आते है।
6) समुद्र मंथन के समय सभी देवो ने अमृत का पान किया परन्तु शिव जी के विष पीना पड़ा जिसके कारण लोग उन्हें नीलकंठ के नाम से जाना जाता है।
7) सुदर्शन चक्र जो की भगवान विष्णु का अस्त्र है उसका निर्माण भगवान शिव ने ही किया था शिव जी ने इसे विष्णु जी को प्रदान किया एव जरुरत पड़ने पर विष्णु देव ने इसको पार्वती माता को दिया और देवी ने परशुराम को दिया। परसुराम से भगवान कृष्ण को मिला ।
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