हम इंसान दुःखी क्यों होते है। दुखों का मूल कारण क्या है?

 इंसान एक सामाजिक और भावनाओ से पूर्ण प्राणी है। यहां की धरती पर मोजूद सभी जीव जंतु में भावनाएं है। दुखी होना एक आंतरिक क्रिया का हिस्सा है। लेकिन ये इच्छाएं इंसान को दुखी करती है। इच्छा इंसान के दुख का मुख्य कारण है। इस बात को बारीकी से समझोगे तो आपको भौतिक दुनिया से जुड़ी सारी बातें क्लियर हो जायेगी।


इच्छाएं मनुष्य को दुखी करती है!

मनुष्य की इच्छाएं अनगिनत है। एक पूरी हुई नही और वो दूसरी चीजों की इच्छाएं और आशाओं की फांसी में बंध जाता है। जेसे किसी युवान ने साइकिल खरीदी फिर उससे कंटाला तो बाइक ली, फिर गाड़ी लेने की इच्छा हुई.....इसके बाद बाद कुछ और फिर कुछ और...ये सब इच्छाएं और आशाओ का जाल है। ये कभी खत्म नही होता।


किसी लड़की की इच्छा है कि उसे अच्छा घर मिले, अच्छा पति मिले, अच्छे लोग मिले, अच्छे बच्चे हो, बुढ़ापा अच्छा गुजरे वगेरे वगेरे..लेकिन क्या ऐसा होता है? सब अच्छा मिले ये इच्छा दुखी करती है क्योंकि हर चीज अच्छी मिलना मुश्किल है। चांद में भी दाग है तो हम फिर भी मनुष्य है।


दुखों का मूल कारण


मनुष्य की अनगिनत इच्छाएं, आशाएं जब वे उसके अनुरूप पूरी नही होती है। तो मनुष्य दुखी होता है। इच्छाओं पर आपका पूर्ण अधिकार है अगर आप थोड़ा अभ्यास करे तो आप उन पर विजय प्राप्त कर सकते है। मजेदार बात ये है कि जिन चीज़ों की आप इच्छा करते हो वे सभी नश्वर है फिर भी हम इंसान इन इच्छाओं को लेकर दुखी है! आखिर क्यों? आप अपने आस पास की चीज़ों को देखो। क्या उसमे से कोई bi ऐसी चीज जो जिंदगी भर रहेगी। या अमर हो? नही न तो फिर क्यों दुखी होते हो । 


संसार की सभी इच्छाओं को त्यागकर अपने आप प्राप्त हुए कर्मो को करो। मैं ये नही कह रहा कि सब छोड़ दो, लेकिन जो प्राप्त भी हो सके उनकी इच्छाएं त्याग दो, जो आपके बस में नही उसे छोड़ कर, प्रकृति से प्राप्त अपने काम को करो। अभिमान किसी चीज का मत करो। फिर देखो कैसा चमत्कार होता है। 


मनुष्य के दुख का मूल कारण ये इच्छाओं की फांसी है । इसको छोड़ना ही मूल सुख का कारण है। जो इच्छाओं को त्याग अपने कर्म करता है उसके लिए ये संसार स्वर्ग समान है। वह व्यक्ति पूजने योग्य है। क्योंकि ऐसे लोग बहुत कम है। 


उम्मीद है आपको मेरी जानकारी योग्य लगी होगी और आपको आपके सवाल का जवाब भी मिल गया होगा। जीवन से जुड़ा कोई प्रश्न है तो कमेंट में जरूर पूछना।

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